और कहा कि ध्वनि प्रदूषण करना मानवता के प्रति अपराध है और पुलिस-प्रशासन को ऐसे तत्वों को सख्ती से कुचलना चाहिए.
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उजैन में तो विद्वत परिषद ने बाकायदा धार्मिक ग्रन्थों का अध्ययन कर उसमें से नागरिकों को जानकारी दी कि जल देवता का प्रदूषण करना शास्त्र संगत नहीं है।
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किसी भी निषिद्ध वन क्षेत्र में तेज रफ़्तार में गाड़ी चलाना, हार्न बजाना, किसी भी तरह का प्रदूषण करना वाइल्ड लाइफ़ एक्ट के तहत अपराध माना जाता है, पर अमूनन इस कानून को हर जगह तोड़ा जाता रहा है, किन्तु दुधवा नेशनल पार्क में एक ऐसी ही घटना पर वहाँ के अफ़सरों ने कानून तोड़ने वाले व्यक्ति से एक बड़ी रकम वसूल की है, शायद इस घटना के बाद धड़ल्ले से वन कानून तोड़ने वाले तमाम लोग चौकन्ने हो जाये और शायद सुधर भी जाए! और यह जुर्माना मिशाल बन जाए!